शिक्षा और संस्कार एक-दूसरे के पूरक हैं। संस्कार घर परिवार और माता पता से मिलता है लेकिन शिक्षा के बिना संस्कार की परिकल्पना नहीं किया जा सकती है। सभी अभिभावकों को अपनी जिम्मेवारी समझने और संस्कार को पहली प्राथमिकता देने की जरूरत है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में अनुशासन, आज्ञाकारिता और विनम्रता का समावेश हो। शिक्षा के साथ व्वहारिक जानकारी व उसके अनुरूप आचरण करने को ही संस्कार कहा जाता है। संस्कार से व्यक्ति की पहचान होती है।
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